NABARD वाटरशेड विकास परियोजनाओं हेतु बैंकों के पुनर्वित्तपोषण के लिए 5,000 करोड़ रुपये देगा
राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने 13 जुलाई 2020 को बैंकों और वित्तीय संस्थानों को 5000 करोड़ रुपये का कर्ज उपलब्ध कराने की घोषणा की. इस पैसे का उपायोग वे जल संग्रहण क्षेत्र परियोजनाओं के लाभार्थियों को कर्ज सहायता उपलब्ध करेंगे.
नाबार्ड ने जल समस्या के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख संघ शासित प्रदेशों के लिए एक-एक स्प्रिंग शेड आधारित वाटरशेड परियोजना की मंजूरी दी है. नाबार्ड के अनुसार, लेह में तीन कृत्रिम ग्लेशियर बनाने की परियोजना से भविष्य में अप्रैल-मई के दौरान स्थानीय लोगों को सिंचाई हेतु आने वाली मुश्किलों से निजात मिलेगी और इससे 1643 ग्रामीणों को लाभ पहुंचेगा.
वाटरशेड विकास परियोजना
इस योजना से 2,150 वाटरशेड विकास परियोजनाओं के लाभार्थियों की मदद होगी. नाबार्ड ने प्राथमिक कृषि सहकारी ऋण समितियों (पीसीएस) को बहु सेवा केंद्रों में बदलने के लिए 5,000 करोड़ रुपये के अतरिक्त वित्तपोषण का भी निर्णय लिया है.
पहला 'डिजिटल चौपाल' आयोजित
नाबार्ड ने 13 जुलाई 2020 को अपने 39 वें स्थापना दिवस के मौके पर पहला 'डिजिटल चौपाल' आयोजित किया. एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस पहल के कारण दूसरे प्रेदशों से गांव वापस आए मजदूरों के इलाकों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा. विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह रियायती दर वाली सहायता वर्ष 2020-21 से वर्ष 2022-23 तक तीन वर्षों के लिए उपलब्ध होगी.
वाटरशेड कार्यक्रम के बारे में
वाटरशेड कार्यक्रम का शुभारम्भ 1994-95 में हुआ था. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जल संरक्षण एवं मृदा संरक्षण हेतु वर्षा के जल के बहाव की गति को कम कर, जल में मृदा अवसाद को कम किया जाये तथा वर्षा की बूँदों को भूमि की सतह पर रोककर मिट्टी के कटाव के साथ जल को संरक्षित किया जाना है.
इससे भूजल स्तर बढ़ने के साथ-साथ बाद में इसका उपयोग सिंचाई एवं अन्य कार्यों में किया जाये. सूखा प्रभावित और मरुस्थलीय क्षेत्रों में वाटरशेड प्रबन्धन कार्यक्रम द्वारा फसल एवं पशुधन पर सूखे के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है.