केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, अब RBI की निगरानी में सभी को-ऑपरेटिव बैंक
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सहकारी बैंकों के आरबीआइ के अंतर्गत आने से सहकारी बैंकों में ग्राहकों का विश्वास बढ़ेगा. आरबीआई की शक्तियां जैसे अनुसूचित बैंकों पर लागू होती हैं, वैसे ही सहकारी बैंकों पर भी लागू होंगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में सहकारी बैंकों (Cooperative Bank) को लेकर बड़ा फैसला हुआ है. केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 23 जून 2020 को इस बात की जानकारी दी. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि केंद्रीय कैबिनेट ने एक अध्यादेश पारित किया है. अध्यादेश पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद सभी तरह के सहकारी बैंक आरबीआई के निगरानी के दायरे में आ जायेगा.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सहकारी बैंकों के आरबीआइ के अंतर्गत आने से सहकारी बैंकों में ग्राहकों का विश्वास बढ़ेगा. आरबीआई की शक्तियां जैसे अनुसूचित बैंकों पर लागू होती हैं, वैसे ही सहकारी बैंकों पर भी लागू होंगी. उन्होंने कहा कि बताया कि देश में 1482 शहरी सहकारी बैंक और 58 बहु-राज्यीय सहकारी बैंक हैं.
क्यों लिया गया फैसला
दरअसल, बीते कुछ समय से देश के अलग-अलग हिस्सों के को-ऑपरेटिव बैंक में नियमों की अनियमितता का खुलासा हुआ है. सरकार का कहना है कि इन बैंकों के आरबीआई की निगरानी में आने के बाद 8.6 करोड़ से अधिक जमाकर्ताओं को भरोसा मिलेगा. यह आश्वासन मिलेगा कि उनका बैंकों में जमा 4.84 लाख करोड़ रुपया सुरक्षित है. इसके साथ ही ग्राहकों के हित में रिजर्व बैंक द्वारा लिए गए फैसले का फायदा निजी और सरकारी बैंकों के साथ ही को-ऑपरेटिव बैंक तक पहुंचेगा
बजट में हुआ था घोषणा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी 2020 में आम बजट पेश करते हुए को-ऑपरेटिव बैंक को आरबीआई की निगरानी में लाने का प्रस्ताव रखा था. इसके साथ ही वित्त मंत्री ने जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) को एक लाख से बढ़ाकर पांच लाख कर दिया था. इसका मतलब ये हुआ कि बैंक में जमा राशि डूब भी जाती है तो आपको पांच लाख तक की बीमा मिलेगी.