भारत-नेपाल सीमा विवाद: नेपाल की राष्ट्रपति ने नए नक्शे को अपनी मंजूरी दी

Vipin Gangwar Published on 20 June 2020

भारत के कड़े विरोध के बावजूद इस नए नक्शे में नेपाल ने तीन भारतीय इलाकों लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपने क्षेत्र के रूप में दर्शाया है


भारत के विरोध के बावजूद नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने देश के नए नक्शे को अपनाने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है. अब यह नेपाली संविधान का हिस्सा बन गया है. इससे पहले नेपाल के ऊपरी सदन ने विधेयक को पास कर दिया था. संसद के उच्च सदन से सर्वसम्मति से पारित बिल पर 18 जून 2020 को राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने हस्ताक्षर कर दिए.

भारत के कड़े विरोध के बावजूद इस नए नक्शे में नेपाल ने तीन भारतीय इलाकों लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपने क्षेत्र के रूप में दर्शाया है. नेपाल के इस कदम से दोनों देशों के सौहार्दपूर्ण संबंधों को बहुत बड़ा झटका लगा है. नेपाल के राष्ट्रपति भवन की तरफ से जारी बयान के मुताबिक राष्ट्रपति भंडारी ने बिल पर संवैधानिक प्रावधानों के तहत हस्ताक्षर किए हैं.

नेपाल ने तीन भारतीय इलाकों को अपने क्षेत्र में दर्शाया


भारत ने पिछले दिनों नेपाल के इस 'कृत्रिम रूप से सीमा विस्तार' को अस्वीकार्य बताया था. भारत द्वारा नवंबर 2019 में अपना नया नक्शा प्रकाशित करने के छह महीने बाद नेपाल ने पिछले माह ही अपना राजनैतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी किया है. नेपाल ने अपने नए नक्शे में भारतीय क्षेत्र के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सीमावर्ती तीन स्थानों लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपने क्षेत्र के रूप में दर्शाया है.

बिल सर्वसम्मति से पारित


इस नक्शे को राष्ट्रीय मान्यता देने के लिए संविधान संशोधन बिल को नेपाली संसद के उच्च सदन ने 18 जून 2020 को इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया. नेशनल एसेंबली के अध्यक्ष गणेश तिमिलसिना ने बताया कि सदन में उपस्थित सभी 57 सदस्यों ने इस बिल के पक्ष में वोट दिया.

नेपाल के निचले सदन में मौजूद सभी 258 सांसदों ने संशोधन विधेयक के पक्ष में मतदान किया था. प्रस्ताव के खिलाफ एक भी मत नहीं पड़ा. नेपाली संसद के निचले सदन से विधेयक पारित होने के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था कि हम इस मामले में अपना पक्ष साफ कर चुके हैं. नेपाली मंत्रिमंडल इस नए नक्शे का अनुमोदन 18 मई 2020 को ही कर चुका है.

नेपाल और भारत के बीच विवादित सीमा


लिपुलेख दर्रा नेपाल और भारत के बीच विवादित सीमा, कालापानी के पास एक दूरस्थ पश्चिमी स्थान है. भारत और नेपाल, दोनों कालापानी को अपनी सीमा का अभिन्न हिस्सा बताते हैं. भारत उसे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा बताता है, वहीं नेपाल इसे धारचुला जिले का हिस्सा बताता है.

कालापानी विवाद क्या है?


कालापानी लगभग 35 वर्ग किलोमीटर का इलाका है और पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा है. उधर, नेपाल सरकार का दावा है कि यह इलाका उसके दारचुला जिले में आता है. साल 1962 में भारत-चीन के बीच युद्ध के बाद से इस इलाके पर भारत के आइटीबीपी के जवानों का कब्जा है. भारत-चीन-नेपाल के त्रिकोणीय सीमा पर स्थित कालापानी इलाका सामरिक रूप से अहम है. नेपाल सरकार का दावा है कि साल 1816 में उसके और तत्कालीन ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुई सुगौली संधि के अनुसार कालापानी उसका इलाका है.

पृष्ठभूमि


भारत ने नवंबर 2019 में एक नया नक्शा जारी किया था, जिसके करीब छह महीने बाद नेपाल ने पिछले महीने देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी कर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इन इलाकों पर अपना दावा बताया था.